भारत की भूत की सबसे डरावनी कहानियां हिंदी में ~ thekahaniyahindi |
भारत की भूत की सबसे डरावनी कहानियां हिंदी में ~ thekahaniyahindi | जंगल की चुड़ैल की कथा
हेलो दोस्तों कैसे हो आप सब | तो आज फिर आपका भाई आपके लिए हाजिर हैं एक भारत की भूत की सबसे डरावनी कहानियां हिंदी में जंगल की चुड़ैल की कथा के साथ |
दोस्तों आपको पता हैं की चुड़ैल का नाम आते ही बहोत ही बदसूरत और डरावनी शक्ल सामने आ जाती हैं |
वैसे दोस्तों कुछ लोग चुड़ैल में विश्वास करते हैं कुछ नहीं करते हैं | पर दोस्तों जिस पर बीतती वो ही जनता हैं |
भारत की भूत की सबसे डरावनी कहानियां हिंदी में की यह कहानी सत्य घटना पर आधारित हैं !
माता जी से सुनी हुई ये कहानी हमारे नाना जी के जीवन चक्र की एक घटना को दर्शाती हैं!
जंगल की चुड़ैल की कथा

भारत की भूत की सबसे डरावनी कहानियां हिंदी में ~ thekahaniyahindi
एक दिन की बात हैं , ठंड का समय था घना कोहरा छाया था सारे लोग जल्दी कार्यालय का काम ख़त्म करके घर की तरफ निकल रहे थे !
जंगल की चुड़ैल की कथा
नाना जी उस समय के बड़े अधिकारियों मे से एक थे ! वे उस समय के उच्च वर्ग के लोगों मे एक अमीन का काम करते थे !
रोज की तरह ही उस दिन कम ख़त्म होने के बाद घर के लिए अपनी गाड़ी से रवाना होने लगे !
रास्ते में उन्हे हाट से कुछ समान भी लेना था तो वे और साथियों से अलग हो गये !
उन्होने घर की कुछ जरूरत के समान लिए और गाड़ी आगे बढ़ा दी !
आगे जाने पर उन्हे कुछ मछली बाज़ार दिखा और वे मछली खरीदने के लिए रुक गये !
ताज़ी मछलियाँ लेने और देखने मे टाइम ज़्यादा ही गुजर गया !
उनकी जब अपनी घड़ी पर नज़र गई तो उन्हे आभास हुआ की आज तो घर जाने मे बहुत देर हो जाएगी और ये सब लेकर घर पहुचने मे काफ़ी समय लग जाएगा !
फिर यही सब सोच कर उन्होने सोचा कि क्यू ना जंगल के रास्ते से निकला जाए तो जल्दी पहुँच जाउँगा !
तो उन्होने अपना रास्ता बदला और जंगल की तरफ़ अपनी गाड़ी को घूमा लिया !
समय ११ बज चुका था गाड़ी तेज रफ़्तार से आगे बढ़ रहां था तभी अचानक तेज ब्रेक के साथ गाड़ी को रोकना पड़ा !
उनकी गाड़ी के आगे एक औरत ज़ोर २ से रो रही थी!
उन्होने सोचा इस वीरान मे ये औरत क्या कर रही हैं उन्हे लगा की कोई मज़दूर की पत्नी होगी जो नाराज़ होकर घर छोड कर जंगल मे भाग आई हैं तो उन्होने उससे पूछा की यहाँ जंगल मे तुम क्या कर रही हो?
लेकिन उसने कोई जवाब न देकर और ज़ोर २ से रोने लगी!
सारे जंगल मे उसकी हूँ हूँ सी सिसकियाँ गूँज रही थी!
फिर नाना जी ने पूछा तुम्हारा घर कहाँ हैं?
लेकिन वो कुछ भी ना बोली!
तब नाना जी ने कहा की आज चलो मेरे घर मे रहना सुबह अपने घर चली जाना ये जंगल बहुत सारे जंगली जानवर से भरा हे रात भर यहाँ मत रूको चलो आज मेरे घर मे सब के लिए खाना बना देना और कल सुबह अपने घर चली जाना !
उसने ये सुना तो झट से तैयार हो गई !
और गाड़ी मे पीछे की सीट पर बैठ गई!
सिर मे बड़ा सा घूँघट डालने की वजह से उसका चेहरा छिपा हुआ था !
कुछ ही देर मे गाड़ी घर के दरवाज़े पे थी! घर के लोग कब से उनकी राह देख रहे थे !
गाड़ी रुकते ही पापा ने पूछा आज तो बहुत देर हो गई और सारे लोग आ भी चुके हैं !
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तब उन्होने सारी बातें अपनी माँ को बताई और कहा की आज खाना इससे बनवा लो कल सुबह ये अपने घर चली जाएगी!
इतनी रात को बेचारी जंगल मे कहा भटकती ! इसलिए मैं ले आया !
पर पापा को कुछ संदेह हो रहा था की कहीं चोर तो नहीं हे रात को सोने के बाद या खाना बनाते समय कहीं घर के सामान ही चुरा कर ना ले जाए!
पर बेटे की बात को कैसे माना करती !
उन्होने उस औरत को कहा देखो आज तो मैं रख ले रही हूँ लेकिन कल सुबह होते ही यहाँ से चली जाना!
और जाओ रसोई मे ये समान उठा कर ले जाओ और खाना बना दो !
उसने फिर से जवाब नहीं दिया !
बस हूँ हूँ हूँ की आवाज़ बाहर आयी !
और वो सारा सामान लेकर माँ के पी छे बहुत दूर चल दी!
रसोई मे सारा सामान रखवा कर माता जी ने उसे खाना जल्दी बनाने की सख्त हिदायत दी!
और वहाँ से चली गई !
लेकिन उनका मन कुछ परेशान सा था !
फिर १० मिनट मे रसोरे मे उसे देखने चली गई की वो क्या कर रही हे और उसका चेहरा भी देखना चाहती थी!
लेकिन .....................................................................
वहाँ पहुँची तो देखा की वो मछलियों का थैला निकल रही थी!
उन्होने बहुत ज़ोर से गुस्से मे कहा यहाँ सब खाने का इंतजार कर रहे हे और तुम अभी तक मछलियाँ ही निकल रही हो कल सुबह तक बनाओगी क्या?
उसके सिर पर घूँघट अभी भी था तो चेहरा देखना मुश्किल ही नहीं नामुमकिन था !
उन्होने उससे कहा तुम जल्दी से खाने की तैयारी करो मैं आग सुलगा देती हूँ काम जल्दी हो जाएगा !
और वे जल्दी से चूल्हा जलाने की तैयारियाँ करने लगी !
लेकिन साथ ही वो उसका चेहरा देखने की भी कोशिश कर रही थी !
लेकिन वो जितना देखने की कोशिश करती वो और पल्लू खींच लेती! अंत मे हार कर वे बोली देखो मैने आग सुलगा दी हैं अब आगे सारा काम कर लो !
कुछ ज़रूरत हो तो बुला लेना ! लेकिन वो फिर कुछ नहीं बोली ! अब उन्हें लगा की यहाँ से जाने मे ही ठीक हैं ! वरना मेरा भी समय खराब होगा और हो सकता हैं अंजान लोगों से डर रही हो !
ये सब सोच कर उन्होंने उसे कहा की मैं आ रही हूँ जल्दी से खाना बना कर रखना !
और वहाँ से निकल गई !
मन अभी तक परेसांन ही था !
कभी अपने कमरे कभी बच्चों के कभी बाहर सब को देख रही थी, कहीं कुछ अनहोनी ना हो जाए!
एक मिनट भी आराम से नहीं बैठ पाई !
अभी पाँच मिनट ही हुए थे पर उनके लिए वो घड़ी पहाड़ सी हो रही थी !
समय बीत ही नहीं रहा था !
आठ मिनट बड़ी मुश्किल से गुज़रे और वे तुरंत ही कुछ सोच कर रसोरे की तरफ दौड़ी !
और वहाँ पहुँच कर आया
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जैसे ही उन्होने रसोई घर का नज़ारा देखा , उनकी आंखे फटी की फटी रह गई ! उनके पैर बिल्कुल ही जम गये ना उनसे आगे जाया जा रहा था ना ही पीछे !
उनके हृदय की धड़कन रुक रही थी !
वो औरत रसोरे मे बैठ कर सारी कच्ची मछलियाँ खा रही थी !
सारे रसोरे में मछलियाँ और खून बिखरा पड़ा था !
उसके सिर से घूँघट भी उतरा पड़ा था !
इतना खौफनाक चेहरा आज तक उन्होने नहीं देखा था !
बाल, ना ख़ून सब बढ़े हुए थे !
मछलियाँ खाने मे मगन होने की वजह से उसे कुछ ध्यान भी नहीं था !
और खुशी से कभी २ वो आवाज़े भी निकल रही थी !
हूँ हूँ सी आवाज़े गूँज रही थी !
रसोरा पिछवारे मे होने की वजह से और लोगों का ध्यान भी इधर नही आ रहा था !
माँ को भी कुछ नहीं समझ आ रहा था , कि चिल्लाने से कहीं घर के लोगों को नुकसान ना पहुँचाए !
वो चुड़ैल से अपने घर को कैसे बचाए उन्हे समझ नहीं आ रहा था !
बस भगवान का नाम ही उनके दिमाग़ मे आ रहा था !
अचानक वे आगे बढ़ने लगी उसकी तरफ !
और झट से एक थाल लिया और चूल्हे की तरफ दौड़ी ! उस चुरैल की नज़र भी पापा पर पड़ चुकी थी सो वो भी कुछ सोच कर उठी अपनी जगह से !
माँ कुछ भी देर नहीं करना चाहती थी , उन्हे पता था की आज अगर ज़रा सी भी लापरवाही हुई तो अनहोनी हो जाएगी !
उस चुरैल के कुछ करने से पहले ही उन्हे चूल्हे तक पहुँचना था !
और चूल्हे के पास पहुँच कर उन्होने जलता हुआ कोयला थाल मे भर लिया !
और चुड़ैल की तरफ लेकर जोर से फेंका !
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आग की जलन की वजह से वो अजीब सी डरावनी आवाज़े निकालने लगी !
अब तो उसकी आवाज़े बाहर भी जा रही थी सारे लोग बाहर से रसोरे की तरफ भागे !
वो चुड़ैल ज़ोर से हूँ हूँ जोर की आवाज़ निकल रही थी और पूरे रसोरे मे दौड़ रही थी और माता जी को पकड़ना भी चाह रही थी !
लेकिन अब सारे लग रसोरे मे आ चुके थे काफी लोगों की भीड़ देख कर वो और भी डर गयी थी !
लोगों की भीड़ को थेलती हुई वो बाहर जंगल की तरफ भाग गये |
और सारे लोग ये मंज़र देख कर डरे साहमे से खड़े थे ! और मन हीं मन माता जी की हिम्मत की दाद दे रहे थे |
तो ऐसे छूटा चुरैल से पीछा |
तो दोस्तों उम्मीद हैं आज की यह सबसे डरावनी कहानियां हिंदी में जंगल की चुड़ैल की कथा आप लोगो को बहोत पसंद आई होगी धन्यवाद
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